Hindus killed by the demonic Islamists

राक्षसों का रोजगार

(यह लेख मुसलामानों के सिर्फ उस तबके को दर्शाता है जिनकी अतिवादी और जिहादी नीति शांतिप्रिय हिन्दुओं को प्रताड़ित करने में लगी है। लेखक का मानना है कि अधिकाँश मुसलमान हिन्दुओं के तरह ही मिहनती और शांतिप्रिय हैं। विड़म्बना मात्र इतनी है कि अगर मुसलामानों पर कोई अन्याय होता है तो हिन्दू स्वर एक साथ मुखर हो जाते है लेकिन अभाग्यवश हिन्दुओं के अत्याचार पर शांतिप्रिय मुसलमान आवाज नहीं निकालते मानो जैसे इसमें उनकी भी सहमति हो।)

यमराज को भी शायद शांति प्रिय, सधु संत, नाबालिग, निरीह लोगों को चट करने में ही स्वाद आता है। चौबीस घंटों में तीन हत्याओं का एक ही तरीका है। ट्रक से कुचलना और भाग जाना, कुचलने वाले, उकसाने वाले माफिया एवं मुस्लिम ड्राइवर अब प्रमाण सहित पकड़े गए हैं। हैदराबाद में 'सर तन से जुदा' के नारे लगाए जा रहे हैं। क्या इस पर भी ओवैसी यही कहेंगे कि मुसलमानों को फँसाया जा रहा है। वस्तुतः कुरान की कुछ आयतें, मदरसे की तालिबानी तालीम मासूम मुस्लिम बच्चों की मानसिकता को बचपन से क्रूरतापूर्ण कार्य के लिये तैयार करतीं हैं। असम में गैंगस्टर क्रिमिनल जिहादियों की संख्या बढ़ रही है, लगभग चार हज़ार लोग ऐसे हैंड ग्रेनेड, हथियारों की तस्करी, नशीले पदार्थों की तस्करी के साथ-साथ जाली नोटों के कारोबार में लगे हुए हैं जिसमें ज्यादातर बांग्लादेश के घुसपैठिये हैं। कलकत्ता में पकड़े जाने वाले बांग्लादेश के आतंकी फैजल का क्या धर्म है ये तो मदरसे वाले ही बता सकते हैं। कर्नाटक में मारे गए बीजेपी कार्यकर्ता का हत्यारा कौन है ये भी वक्त ही बताएगा।अनेकानेक जघण्य हत्याओं एवं आपराधिक घटनाओं के पीछे बेरोजगारी ही कारण है, यह कहना अमान्य है, क्योंकि बेरोजगार तो हिन्दू युवक - युवतियाँ भी बहुतायत में हैं परन्तु वे आतंकवादी नहीं बनते हैं।

कहने के लिए तो सारे मुसलमानों को कहते हुए सुना जा सकता है कि आतंकवाद और आतंवादियों का कोई धर्म नहीं होता परन्तु ज्यों ही कोई हत्यारा, बलात्कारी, जिहादी, आतंकी पकड़ा जाता है ये सभी छाती पीटने लगते हैं। हत्याकांड के बाद हत्यारों के माँ-बाप तो अपने जिहादी हत्यारे बेटे को मासूम, बेगुनाह साबित करने में अपने पड़ोसी, नमाजियों और मुस्लिम नेताओं के साथ बहुत ही बेशर्मी से जुट जाते हैं। ज्यादातर नमाजी मुसलमान कुरान, हदीस और खुतबे के ज्ञान को ग्रहण कर स्वैच्छिक रूप से अपराधी मानसिकता के होते हैं। ग़ैरइस्लामियों के लिए नफरत, क्रूरता, धोखाधड़ी इनके गुण-सूत्रों में ही मौजूद है। सच्चाई को किनारे रख नूपुर की गिरफ्तारी की माँग करने वालों द्वारा उकसाने पर जिहादियों द्वारा कई हत्याएँ की गई हैं। आए दिन पैगम्बर के अपमान का बहाना कर हिन्दुओं की हत्यायें करने के लिए न सिर्फ पाकिस्तान और बांग्लादेश में, बल्कि अब हिंदुस्तान में भी मुस्लिम जिहादी घुसपैठियों के समर्थन के साथ तत्पर रहते हैं। ये खूंखार आतंकवादी जिहादियों की संख्या अब बहुसंख्यक में तब्दील हो चुकी है। सरकार को अतिरिक्त पूर्व सतर्कता के साथ नूपुर या टी राजा के समर्थकों को सुरक्षा एवं उन्हें धमकियाँ देने वालों को गिरफ्तार करना चाहिए। ऐसे छद्मवेशी धर्मनिरपेक्षता एवं गणतंत्र के समर्थक नेता जो आतंकी मुस्लिम समुदाय को खुश करने में लगे हुए हैं, उन्होंने वस्तुतः हिन्दुओं की जिन्दगी को खतरे में डाल दिया है।

क़ानून व्यवस्था राज्य सरकार के हाथ में होने की वजह से उन सरकारों, ख़ास कर गैर-बीजेपी, के ढुलमुल रवैये के कारण हिन्दुओं की हत्याएँ प्रतिदिन हो रही है। वस्तुतः प्रताड़ित हिन्दुओं की आवाज को वामपंथी नेता सुनना नहीं चाहते हैं,इसीलिए हत्यारों, अपराधी मानसिकता के मुसलमानों का इजाफा हो रहा है। जजों के बेशर्म बोल भी हत्यारे मुल्लों के हौसलों को बुलन्दी दे रहे हैं। पैगम्बर के कृत्यों को गलत साबित करने वाली नूपुर को फटकार लगाने वाले जजों ने स्वतः संज्ञान ले कर ये कभी नहीं कहा है कि पुलिस द्वारा उन सभी मुसलमानों को भी गिरफ्तार किया चाहिए जो हिन्दू धर्म के देवी-देवताओं पर अश्लील टिप्पणियाँ किया करते हैं। ऐसी स्थिति में क्या यह अनुमान लगाया जाए कि जजों को भी हिन्दुओं के विरुद्ध तथा अपराधी मुसलमानों के पक्ष में बोलने के लिए अवैध धन प्राप्त होते हैं ? हिन्दू विरोधी निर्णय लेने वाले जजों की संपत्तियों की जानकारी भी जाँच का विषय होना चाहिये परन्तु इनके बारे में साधारण लोगों का कुछ भी बोलना अनुचित है।

इस्लामी मज़हब में ये भी सिखाया जाता है कि 'अगर तुम अपने मुस्लिम भाइयों के गुनाहों को छुपाओगे तो अल्लाह तुम्हारे गुनाहों को छुपायेगा' अर्थात ये भी जानते हैं कि ये लोग एक दूसरों के पापों, कुकर्मों पर पर्दा डालते हुए असंख्य पाप और गुनाह करते रहते हैं तथा पकड़े जाने पर हो-हल्ला कर मीडिया एवं अंतर्राष्ट्रीय समुदायों को धोखे में रख सकते हैं। हिन्दुओं एवं ईसाइयों को भी इसका ठीक उल्टा बताया जाता है कि एक गुनाह को छुपाने के लिए असंख्य गुनाह करने पड़ते हैं, इसलिये अपने गुनाहों की सच्चाई बता कर क्षमा माँग लेनी चाहिए। ये छत्तीस का आंकड़ा है, जिसके कारण कभी कोई मुस्लिम, हिन्दुओं या ग़ैरइस्लामियों के विश्वास के लायक नहीं होता है। दानवों की तरह किसी न किसी रूप में हिन्दुओं के त्यौहारों पर हंगामा-पत्थरबाजी करना, अपवित्र, घृणित या दूषित कार्यों द्वारा ईश्वर के आराधना स्थलों को गंदा करना इनके मज़हबी कुकर्म की अनिवार्यता है।

मंदिर में, कांवड़ यात्रा के दौरान गौ-मांस का फेंका जाना रामायण की उन पंक्तियों की याद दिलाता है जबकि ताड़कासुर ,मलद, करूष, ताड़िका एवं उनके अनुयायियों द्वारा यज्ञ-विध्वंस करने के ध्येय से ऋषियों के हवन-कुण्ड में माँस के टुकड़े फेंके जाते थे। उन राक्षसों के संहार की विधि जो विश्वामित्र ने राम को दिव्यास्त्र देने के साथ उन्हें बताई थी, वह राम, विश्वामित्र और दिव्यास्त्रों की उपलब्धता आज नहीं है, परन्तु राक्षसों का उत्पात उसी प्रकार मचा हुआ है।
आज भी अनेक प्रकार के हथकंडों का प्रयोग कर इस्लामी राक्षस मंदिरों में ,कांवड़ यात्रियों के रास्ते में माँस का लोंदा फेंकते हुए, पवित्र साधक मंडली को दूषित करने का दुष्कर्म कर रहे हैं। बेगुनाहों एवं साधु जनों की हत्याओं की गिनती करनी भी मुश्किल हो गयी है क्योंकि ज्यादातर बातों को प्रकाशित नहीं किया जाता है, यदि किसी तरह समाचार में आ भी जाता है तो उसे दबाने की या अन्य प्रकार की दिशाहीन खबरों का संदर्भ को दे कर उसे रफा-दफा करने की कोशिश की जाती है। कोंग्रेसियों के सत्ताहीन होते हुए भी,'ये' समानांतर कुरूपता से देश की राजनीति में अपनी घुसपैठ बनाये हुए हैं।

मोदीजी के प्रत्येक समाज हितैषी कार्यों में बाधा उपस्थित करना, देश में अराजकता फैलाना ,तोड़-फोड़, हत्या, आगजनी के कार्यों को बढ़ावा देने के साथ-साथ झूठ-तंत्रिका बुनने में कोंग्रेसी तथा देश विरोधी पार्टियाँ मशगूल हो गए हैं। धरना प्रदर्शन, सरकारी सार्वजनिक संपत्तियों की तोड़-फोड़, हंगामा, हिन्दू मुस्लिम के बीच दंगा कराने की कोशिश तो कोंग्रेसियों द्वारा युवा कार्यकर्ताओं, देशद्रोहियों एवं आतंकी-तंत्र को रोजगार देने का काम करती है। इन सभी अराजकतावादी तत्वों का समर्थन मोदी विरोधी पार्टियाँ सिर्फ मोदीजी को बदनाम करने के लिए कर रही है। उनका मानना है कि जनता उनके झाँसे में आकर बीजेपी या मोदी को मतदान नहीं करेंगे और वे देश में पुनः आतंकवादियों को बढ़ावा दे, जहाँ-तहाँ बॉम्ब विस्फोट, दंगे-फसाद फैला कर निर्वाध्य रूप से हिन्दुओं की हत्यायें करवा सकें। भारत देश में हिन्दू विरोधी तत्वों के कार्यांन्वण में ईसाई मिशनरियाँ तथा मस्जिदों के मौलवियों का बहुत बड़ा हाथ है। ये लोग येन-केन प्रकारेण हिन्दू जनजातियों, आर्थिक तथा सामाजिक रूप से पिछड़े वर्ग के लोगों का धर्म परिवर्तित करवा कर उन्हें उनकी जड़ों से काटने का प्रयास कर रहे हैं। ये उन्हें विदेशी वैटिकन या मजहबियों का स्थायी गुलाम बनाना चाहते हैं ताकि उन्हें पीढ़ी दर पीढ़ी निचोड़ा जा सके। बेचारे गरीब समझ नहीं पाते हैं कि चर्च या जकात का पैसा भारत देश के गरीबों को नहीं बल्कि विदेशों में वेटिकन को मजबूत करने तथा आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है।

शायद मोदी जी सब कुछ जानते हुए भी इसीलिए चुप रहते हैं क्योंकि पिछले सत्तर साल से भारतीय जनता को गुमराह कर कोंग्रेसियों की सरकार यही करती आयी है। भंडाफोड़ होने बाद भी कोंग्रेस की छद्म पर आधारित भ्रष्टाचार करने आदत छूटती नहीं है। सारी जनता इन कोंग्रेसियों से त्रस्त है। सभी भृष्टाचारी और राक्षस मोदीजी से परेशान हैं। स्वयँ के आपराधिक कृत्यों का पर्दाफाश होता देख, हर रैली में मोदीजी को गालियाँ देना, झूठा बयानबाजी करना, दंगाईयों को उत्प्रेरित करना, रहुलासुर एवं एंटोनियो माइनो की दंगाई-सेना का प्रिय शगल है। विभिन्न बहाने से देश में दंगे भड़का कर, कोंग्रेसियों द्वारा करवाए गए हिन्दुओं, सिक्खों, ब्राह्मणों तथा तथा साधु -संतों की हत्याओं के लिए जिम्मेदार कांग्रेसियों को भी क्यों न जिहादियों के जैसा ही राक्षसों के समुदाय का ही कहा जाना चाहिए! क्योंकि आदिकाल से ही ऋषियों-मुनियों द्वारा समाज हित में किये गए यज्ञ का आरंभ होते ही रावण निर्देशित राक्षस अपनी माया जाल फैलाते हुए रक्त की धाराएँ बरसाना, यज्ञ वेदी में हड्डियाँ फेंकना आरम्भ कर देते थे जो अप्रत्यक्ष रूप से आज भी मोदी -विरोधी इन्सानी शरीर वाले राक्षसों द्वारा किया जा रहा है।

'आवार्य गगनं मेघो, यथा प्रावृषि दृश्यते।
तथा मायां विकुर्रवाणों राक्षसावभ्यधावतां
मारिचश्च सुबाहुश्च तयोरनु चरास्थता।
आगम्य भीमसंकाशा रुधिरौघानवासृजन।...
......पश्य लक्ष्मण दुरवृत्तान राक्षसान पिशिताशनां।(बाल्मीकि रामायण)

रावण प्रेरित राक्षसों से बचाने के लिये भगवान राम, हनुमानजी, श्रीकृष्ण तो आज नहीं हैं, परन्तु निहत्थे सन्यासियों एवं यज्ञायिकों को कैसे बचाया जाये, ये जिम्मेदारी तो प्रत्येक सरकार की निश्चित ही बनती है। प्रत्येक नागरिक की सुरक्षा के प्रति सरकार कितनी सक्षम है यह तो समय ही बताएगा; परन्तु निरपराधों, असहायों बेबसों की सुरक्षा तभी सम्भव है जब कोई दृढ़ निश्चयी राम की ही तरह सोचें कि ...'करिष्यामि न संदेहो नोत्सहन्तुमीदृशां।


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